Priyanka Verma

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लेखनी - प्रेम - एक अनुभूति

❤️प्रेम - एक अनुभूति


इ❤️श्क, सुनने में कितना खूबसूरत लगता है, है ना? पर क्या इसका जीवन में होना उतना ही सुखद होता है?

🙋हर स्त्री, अपने जीवनसाथी से सच्चे प्रेम की उम्मीद लगाए रखती है। पर शायद वो उतनी खुशकिस्मत नही होंती।


👩‍❤️‍👨बहुत ही कम पुरुष ऐसे होते हैं,जो अपनी पत्नी को सच्चा प्यार, और सम्मान देते हैं। उन्हें एक बोझ से ज्यादा अपना सच्चा हमसफर मानते हैं। उन्हें अपने घर की लक्ष्मी समझते हैं। समझते हैं ना?


🙋स्त्री, अपने पूरे समर्पण के साथ, पूरी ज़िंदगी इस प्यार को निभाती है। यही नहीं वो तो इस प्रेम बंधन को सात जन्मों तक निभाने के लिए वचनबद्ध रहती है।

ये प्रेम, राधा, मीरा और रुक्मिणी ने कान्हा, गिरधर और कृष्ण स्वरूप से किया। तीनों का प्रेम अथाह, अगाध श्रद्धा, समर्पण और आस्था से परिपूर्ण था, परंतु इन की नियति अलग अलग थी। पर क्यों?

❤️प्रेम ,इस प्रकृति का आधार है। यह मानव समाज के अस्तित्व का आधार है। प्रत्येक मनुष्य के लिए इसके मायने अलग हो सकते हैं। परंतु इसका सार तो एक ही है,
जीवन में सुखानुभूति।

🙋❤️स्त्री, इस प्रेम के लिए, प्रेममय होकर अपना सर्वस्व अपने आराध्य को समर्पित कर देती है। उसे केवल अपने परिवार का साथ, अपने जीवनसाथी से मिला प्रेम और सम्मान ही चाहिए होता है। वो भावनाओं से परिपूर्ण एक बहती नदी है, जो अपने हमसफर के प्रेम के सागर में मिल जाना चाहती है।


प्रियंका वर्मा

25/7/22

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12 Comments

Saba Rahman

26-Jul-2022 11:59 PM

Nice😊😊😊

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Khan

26-Jul-2022 11:08 PM

😊😊

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Aniya Rahman

26-Jul-2022 10:53 PM

Nyc

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